Wednesday, July 2, 2008

"Aadarsh Prem," by Dr. Harivansh Rai Bachchan

प्यार किसी को करना लेकिनकहकर उसे बताना कया
अपने को अपर्ण करना परऔ‌र को अपनाना क्या
गुण का ग्राहक बनना लेकिनगाकर उसे सुनाना क्या
मन के कल्पित भावों सेऔरों को भ्रम में लाना क्या
ले लेना सुगन्ध सुमनों कीतोड़ उन्हें मुरझाना क्या
प्रेम हार पहनाना लेकिनप्रेम पाश फैलाना क्या
त्याग अंक में पले प्रेम शिशुउनमें स्वार्थ बताना क्या
देकर ह्रदय ह्रदय पाने कीआशा व्यर्थ लगाना क्या

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