Friday, August 29, 2008

पूर्व चलने के बटोही-Dr Harivansh Rai Bachhan

पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले पुस्तकों में है नहीं छापी गयी इसकी कहानी .

हाल इसका ज्ञात होताहै न औरो की जुबानी .अनगिनत राही गए इस राह से ,

उनका पता क्या ?पर गए कुछ लोग इस परछोड़ पैरो की निशानी .

यह निशानी मूक होकर भी बहुत कुछ बोलती है .

खोल इसका अर्थ पंथी पथ का अनुमान कर ले .पूर्व चलने के बटोही ,

बाट की पहचान कर ले .ये बुरा है या की अच्छा व्यर्थ दिन इस पर बिताना ,

अब असंभव छोड़ ये पथ दुसरे पर पग बढ़ाना .तू इसे अच्छा समझ ,

यात्रा सरल इससे बनेगी .सोच मत केवल तुझे ही यह पडा मन में बिताना

हर सफल पंथी यही विशवास ले इस पर बढ़ा है तू इसी पर आज अपने चित का अवधान कर ले .

पूर्व चलने के बटोही , बाट की पहचान कर ले .है अनिश्चित किस जगह पर सरित ,

गिरी , गह्वर मिलेंगे है अनिश्चित किस जगह पर बाग़ बन सुन्दर मिलेंगे किस जगह यात्रा ख़तम हो जायेगी यह भी अनिश्चित है अनिश्चित कब सुमन कब कंटको के शर मिलेंगे ,

कौन सहसा छूट जायेंगे , मिलिएँगे कौन सहसा .आ पड़े कुछ भी , रूकेगा तू न ,

ऐसी आन कर ले पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले....

Friday, August 1, 2008

from movie -"lage raho munna bhai"

शहर कि इस दौड मॆ दौड कॆ क‌रना क्या है..
अग‌र यहि जिना है दॊस्तॊ, तॊ फिर म‌रना क्या है..
पहले बरिश मै ट्रैन् लॆट हॊनॆ कि फिक्र है..
भुल गयॆ भिगतॆ हुऎ टहलना क्या हॊता है..
सिरिअल्स कॆ किरदारॊ का सारा हाल है मालुम..
पर मा का हाल पुछनॆ कि पुरसत कहा है..?
अब रॆत पॆ नन्गै पैर ट‌ह‌ल‌तॆ क्यॊ नही..?
108 है चैनल प‌र‌ दिल बहलतॆ क्यॊ नही..?
इन्ट‌र‌नॆट पॆ सारी दुनिया सॆ तॊ ट‌च मैन् है
लॆकीन‌ पडॊस मै कौन रहता है जानतॆ तक नही.
मॊबाईल,लैन्डलाईन स‌ब की भरमार् है..
लॆकीन‌ जीगरी दॊस्त तक पहुचॆ ऐसॆ तार कहा है..?
कब डूबतॆ हुऎ सुरज कॊ दॆखा था याद है.??
कब जाना था वॊ शाम का गुजरना क्या है..??
तॊ दॊस्तॊ शहर कि ईस दौड‌ मै दौड कॆ करना क्या है..
अग‌र‌ यही जीना है तॊ मरना क्या ह

from movie -"KAbhi kabhi"

Kabhi raste mein mil jaao, to katrake guzar jana,
Humein iss tarah takna, jaise pehchana nahin tumne,
Humara zikra jab aae, to yunh anjaan ban jana,
Jaise naam sunker bhi humein pehchana nahin tumne.